Bihar Politics : तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने खुद को पार्टी से पूरी तरह से किनारा कर लिया है. विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए, लेकिन पशुपति पारस की ओर से आयोजित रामविलास पासवान के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल होने पहुंच गए, जबकि पार्टी का कोई नेता वहां नहीं आया था. इधर तारापुर और कुशेश्वरस्थान (Tarapur and Kusheshwarsthan) सीट पर उन्होंने पार्टी लाइन से अलग जाकर आरजेडी की परेशानी बढ़ा दी है.
Bihar Politics : एक तरफ राष्ट्रीय जनता दल में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के बीच की कलह चरम पर है. तेजप्रताप ने पार्टी से दूरी बना रखी है और पूरी तरह छात्र जनशक्ति परिषद की गतिविधियों में लगे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ वे पार्टी के कार्यक्रमों को लेकर समय-समय पर सवाल भी खड़े कर रहे हैं. ताजा घटनाक्रम में जब आरजेडी विधानसभा की 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव (By-elections) के लिए पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की तो उसमें तेजप्रताप का नाम गायब था. इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने लिखा है कि मेरा नाम हटाया तो कोई बात नहीं, लेकिन दीदी मीसा भारती और मां राबड़ी देवी का नाम क्यों हटाया?
यही नहीं तेज प्रताप यादव ने तारापुर विधानसभा क्षेत्र से संजय यादव नाम के छात्र जनशक्ति परिषद के सदस्य को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया है. खुद संजय ने इस बात की पुष्टि की है कि तेजप्रताप उनके लिए चुनाव प्रचार भी करेंगे. इधर कुशेश्वरस्थान में तेजप्रताप कांग्रेस उम्मीदवार अनिकेत कुमार के लिए प्रचार कर सकते हैं. हालांकि इन दोनों बातों की पुष्टि खुद तेजप्रताप ने अबतक नहीं की है.
इन सब के बीच एक बड़ी खबर यह है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ( Bihar Politics) को लेकर अखिलेश यादव ने तेजप्रताप यादव को बुलावा भेजा है. तेजप्रताप अखिलेश यादव के रिश्तेदार भी हैं. जानकारी के मुताबिक छात्र जनशक्ति परिषद का यूपी में अभी विस्तार किया गया है, जिसका फायदा समाजवादी पार्टी को आने वाले चुनाव में मिल सकता है. यही वजह है कि अखिलेश ने तेजप्रताप से यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) को लेकर बातचीत के लिए उन्हें बुलावा भेजा है.
बिहार की सियासत (Bihar Politics) में सबसे बड़ी पार्टी और मुख्य विपक्षी पार्टी होने के नाते राष्ट्रीय जनता दल में छोड़े विवाद को लेकर एनडीए (NDA) के नेता लालू परिवार पर निशाना साध रहे हैं. बीजेपी (BJP) के प्रदेश प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कि पिछली बार की तरह इस बार भी एनडीए प्रत्याशी की दोनों सीटों पर आसान जीत होगी. उन्होंने कहा कि महागठबंधन में बड़ा बिखराव है. आरजेडी और कांग्रेस आपस में ही लड़ रहे हैं.
हालांकि आरजेडी नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि हम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आगे बढ़ चुके हैं. कोई भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में आ जाए, लेकिन जीत आरजेडी उम्मीदवार की ही होगी. उन्होंने कहा कि जनता बिहार की नीतीश सरकार से नाराज है, ऐसे में हमें पूरा भरोसा है कि वे ‘लालटेन’ पर ही भरोसा जताएंगे.
जाहिर है दावे हर दल कर रहे हैं, लेकिन अब तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि अगर तेज प्रताप यादव तारापुर और कुशेश्वरस्थान में किसी और के लिए चुनाव प्रचार करते हैं तो उसका कितना खामियाजा आरजेडी को भुगतना पड़ सकता है. वैसे आपको याद ही होगा कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में तेजप्रताप यादव ने जहानाबाद और शिवहर में निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया था. जिसका नतीजा ये रहा है कि जहानाबाद में आरजेडी कैंडिडेट सुरेंद्र यादव महज 1500 वोटों से चुनाव हार गए थे. यही वजह है कि पार्टी में लालू यादव (Lalu Yadav) के पटना आने का इंतजार बेसब्री से हो रहा है, ताकि दोनों भाइयों के बीच का विवाद सुलझ सके.