Bihar Politics : आरजेडी (RJD) में दोनों भाइयों के बीच अधिकार की लड़ाई को लेकर छिड़ी जंग ने बिहार में एलजेपी (LJP), यूपी में सपा (SP), तमिलनाडु में डीएमके (DMK) और हरियाणा में चौटाला परिवारों की याद दिला दी है. एलजेपी में जहां भाई और बेटे के बीच उत्तराधिकारी की लड़ाई छिड़ी है. वहीं इसके पहले अन्य राज्यों में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिलता रहा है. राजनीतिक विरासत (Political Legacy) के लिए उत्तराधिकारी की इस लड़ाई में चौतरफा नुकसान जनता का होता है.
Bihar Politics : पब्लिक जिसे वोट देकर अपना नेता चुनती है, वह अपने परिवार की खातिरदारी में लग जाता है. उसके बाद उस परिवार की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए उत्तराधिकारी की लड़ाई शुरू हो जाती है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में फिलहाल तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के बीच यह जंग जारी है. दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में पशुपति पारस (Pashupatu Paras) और चिराग पासवान (Chirag Paswan) के बीच भी उत्तराधिकारी की लड़ाई चल रही है.
इसके पहले समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव और अखिलेश सिंह यादव के बीच की लड़ाई हो या तमिलनाडु, महाराष्ट्र और हरियाणा में बड़े राजनीतिक परिवारों की लड़ाई. हर बार उत्तराधिकारी की लड़ाई के पीछे उन राजनीतिक परिवारों का खास रोल रहा है, जहां एक व्यक्ति केंद्रित पार्टी रही है. एक परिवार से जुड़ी पार्टी के मामले में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिलता रहा है.
इस बारे में बीजेपी (BJP) के प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं कि ऐसे तमाम उदाहरण भरे पड़े हैं, जो लोकतांत्रिक देश में अलोकतांत्रिक परिवारों की कहानी कहते हैं. बीजेपी नेता ने कहा कि ऐसे सियासी परिवार, जो सिर्फ जनता को बेवकूफ बनाकर क्षेत्रिय स्तर पर राजपाट संभाल रहे हैं और उनके परिवार में उत्तराधिकारी की लड़ाई भी जारी है.
वहीं बिहार समेत पूरे देश के सियासी मामलों की जानकारी रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच की लड़ाई कोई अनोखी या नई नहीं है. ऐसा तो हमेशा से होता आ रहा है, खासकर उन परिवारों में जो एक व्यक्ति और एक परिवार के जरिए सियासत में हों.
रवि उपाध्याय कहते हैं कि ऐसे लोगों को जनता के मुद्दों से ज्यादा इस बात की चिंता ज्यादा रहती है कि कैसे अपने परिवार का भविष्य बनाएं. नतीजा जनता को भुगतना पड़ता है, क्योंकि उनकी समस्याओं का समाधान तो होता नहीं. उनके वोट का फायदा ऐसे सियासी दल खूब उठाते हैं और अपनी पूरी ताकत और अपना पूरा जोर अपने परिवार की बेहतरी में लगा देते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि ऐसे राजनीतिक दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं को भी कुछ हासिल नहीं होता, क्योंकि सारा ध्यान तो परिवार पर होता है और आगे चलकर ऐसे ही परिवारों में राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी बनने की लड़ाई भी खूब होती है. जैसा कि मुलायम सिंह यादव, रामविलास पासवान और करुणानिधि के परिवार में हुआ, कुछ ऐसा ही चौटाला और ठाकरे परिवार में भी देखने को मिला.
आपको याद होगा कि तेज प्रताप ने दो दिन पहले ही सनसनीखेज आरोप लगाया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का ख्वाब कुछ लोग देख रहे हैं और यह लोग लालू यादव को बिहार वापस आने नहीं दे रहे हैं. इधर, एलजेपी में तो दो टुकड़े हो ही चुके हैं. पारस गुट के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि चुनाव आयोग ने उन्हें राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से अपनी पार्टी चलाने का निर्देश दिया है और उन्हें सिलाई मशीन का सिंबल दिया है, जबकि चिराग गुट को एलजेपी (रामविलास) नाम और हेलिकॉप्टर चुनाव चिह्न चुनाव आयोग ने दिया है.