Bihar Politics : दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) आज कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लेंगे. कांग्रेस मुख्यालय में कन्हैया को पार्टी की सदस्यता दिलाई जाएगी। बताया जा रहा है कि इस दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रहेंगे.
Bihar Politics : बिहार में सीपीआई (Communist Party of India) की झंडा बुलंद करनेवाले कन्हैया बहुत जल्द कांग्रेस की आवाज बन जाएंगे। कन्हैया कुमार के आज कांग्रेस का ‘हाथ’ थामने की चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है कि गुजरात के अनुसूचित जाति के कद्दावर चेहरे जिग्नेश मेवाणी के साथ दिल्ली में कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल होंगे।
कांग्रेस में शामिल होंगे कन्हैया कुमार : कई चुनाव हार चुकी कांग्रेस अब खुद को बदलने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी की नजर लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव ( Bihar Politics ) पर भी है। जीत हासिल करने के लिए पार्टी जातीय समीकरणों के साथ युवाओं पर दांव लगाने जा रही। 2024 के चुनाव में जीत के लिए हिसाब-किताब बैठाए जा रहे हैं। कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल किया जा रहा है। माना जा रहा है कि कन्हैया को बिहार कांग्रेस की अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। कांग्रेस की सदस्यता लेने से पहले कन्हैया कुमार दोपहर 2:30 बजे दिल्ली के ITO स्थित शहीद-ए-आजम भगत सिंह पार्क जाएंगे। यहां वे भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। इसके बाद वे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचेंगे। सदस्यता लेने के बाद वे 3:30 बजे दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे। सीपीआई छोड़ने और कांग्रेस ज्वाइन करने की वजहों के बारे में बात करेंगे।
बिहार कांग्रेस में जान डाल पाएंगे? : पिछले 5 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को कोई खास सफलता बिहार में नहीं मिली है। फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में 10 सीट मिली थी, जो अक्टूबर 2005 में घटकर 9 रह गई। 2010 के विधानसभा चुनाव ( Bihar Politics ) में तो कांग्रेस को महज 4 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। 2015 विधानसभा चुनाव में जब RJD और JDU के साथ कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा बनी तो 27 सीटों पर जीत मिली थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में रहने के बाद भी कांग्रेस महज 19 सीटें जीत सकी। जबकि, लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को एक सीट मिली थी। बिहार में हालत को देखते हुए कांग्रेस अब नए नेतृत्व के रूप में कन्हैया को लाना चाहती है।
कन्हैया का बेगूसराय कनेक्शन : बिहार के बेगूसराय से ( Bihar Politics ) कन्हैया कुमार की ताल्लुक है। 2015 में कन्हैया कुमार JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे। JNU में लगे कथित देश विरोधी नारों के बाद अचानक सुर्खियों में आ गए। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बेगूसराय से किस्मत भी आजमाई थी। वहां से बीजेपी के गिरिराज सिंह से हार गए थे। 4 लाख 22 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया। बेगूसराय में भूमिहार जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है और कन्हैया कुमार भी भूमिहार हैं। कांग्रेस को बिहार में नए चेहरे की जरुरत है। कांग्रेस को लगता है कि छात्र नेता के तौर पर कन्हैया को संगठन का अनुभव है।
कन्हैया को कैसे संभालेंगे भक्तचरण दास? : बिहार कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मदन मोहन झा का कार्यकाल 17 सितंबर को पूरा हो गया। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि प्रभारी भक्त चरण दास ने कुंटुंबा विधायक राजेश राम का नाम दिल्ली दरबार में अध्यक्ष पद के लिए बढ़ाया था। लेकिन ढाई महीने बाद भी इस पर मंजूरी नहीं मिली। सहमति क्यों नहीं मिली ये अपने आप में बड़ा खेल है। बिहार प्रभारी पद पर दलित (भक्त चरण दास), विधायक दल का नेता सवर्ण (अजीत शर्मा) और अध्यक्ष पद पर या तो कोई अतिपिछड़ा या फिर अल्पसंख्यक गुणा-गणित बिठाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक यही वजह थी कि बिहार प्रभारी के राजेश राम वाले प्रस्ताव को हाईकमान से दो बार मंजूरी नहीं मिली। अब पार्टी हाईकमान की ओर से ( Bihar Politics ) कन्हैया कुमार को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई जा रही है। भक्त चरण दास के सामने सबसे बड़ी चुनौती कन्हैया कुमार को संभालने की होगी।
पटना में सीपीआई कार्यालय से AC भी निकाल ले गए कन्हैया कुमार : इस बीच खबर आ रही है कि सीपीआई के पटना कार्यालय अजय भवन के एक कमरे में लगवाया गया एसी कन्हैया कुमार ने निकालकर ले गए हैं। इस कमरे में कन्हैया कुमार ने ही एसी लगवाया था, जिसे वो दो महीने पहले निकाल ले गए। सीपीआई के प्रदेश सचिव रामनरेश पांडेय ने भी इस बात की पुष्टि की। उन्होंने एक स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा कि अजय भवन के कमरे में कन्हैया कुमार ने ही एसी लगवाया था। ऐसे में वो निकाल ले गए तो कोई गलत बात नहीं है।
…तो क्या इस वजह से CPI से कन्हैया का मन खट्टा हुआ? : दरअसल फरवरी 2021 में JNU के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने निंदा प्रस्ताव पारित किया था। कन्हैया के खिलाफ ये कार्रवाई पटना ऑफिस में कार्यालय सचिव इंदुभूषण वर्मा के साथ मारपीट करने के बाद की गई। तब हैदराबाद में सीपीआई नेशनल काउंसिल की बैठक चल रही थी। कन्हैया पर आरोप था कि 1 दिसंबर 2020 को उन्होंने पटना कार्यालय में अपने समर्थकों के साथ पहुंचे थे। वहां बेगूसराय जिला काउंसिल को लेकर बैठक होनी थी।
मगर किसी कारण से इसे स्थगित कर दिया गया। इसकी सूचना कन्हैया को नहीं दी गई। इतनी-सी बात पर उनके समर्थकों ने प्रदेश कार्यालय सचिव इंदुभूषण वर्मा के साथ बदसलूकी, धक्का-मुक्की और मारपीट की थी। इसके खिलाफ हैदराबाद की मीटिंग में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। सीपीआई महासचिव डी राजा भी उस बैठक में मौजूद थे। यहीं से कन्हैया का सीपीआई से मोहभंग हो गया।