Cyber Crime in Bihar : साइबर क्राइम के मामले में झारखंड के जामताड़ा मॉडल ने अब बिहार के कई शहरों में अपने पांव पसार लिए हैं। एक-दो नहीं, बल्कि बिहार के 6 जिले ऐसे हैं, जिन्हें साइबर अपराधियों ने हॉट स्पॉट बना दिया है। इन जिलों में अपराधी बैठकर एक लैपटॉप और मोबाइल से लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना रहे हैं। कमाए गए उनके रुपयों को झांसा देकर ठग ले रहे हैं। पहले सब कुछ जामताड़ा से चलता था। लेकिन, अब ऐसा नहीं है।
साइबर अपराधियों ने कई जिलों को बनाया ठिकाना :
बिहार के पटना, नालंदा, नवादा, गया, शेखपुरा और जमुई, जिलों को साइबर अपराधियों ने अपना गढ़ बना लिया है। इन जिलों में अपने ठिकाने से बैठकर साइबर अपराधी जामताड़ा मॉडल के तहत लोगों को अलग-अलग तरीके से ठग रहे हैं। गुरुवार को आर्थिक अपराध इकाई (EOU) के ADG नैयर हसनैन खान ने भी इस बात को माना है। इनके अनुसार बेतिया, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर और मधुबनी जिलों में भी साइबर अपराधियों ने अपने कदम रख दिए हैं। ये 4 जिले ऐसे हैं, जिन्हें साइबर अपराधियों ने अपना नया ठिकाना बनाया है।
अकेले पिछले साल दर्ज हुए 2400 केस :
बिहार पुलिस दिवस के मौके पर 26 फरवरी से शुरू हो रहे हेल्पलाइन नंबर 1903 की जानकारी देने के लिए आर्थिक अपराध इकाई के ADG मीडिया से मुखातिब हुए थे। इस मौके पर इनसे सवाल पूछा गया कि बिहार में साइबर क्राइम कितने प्रतिशत तक बढ़ा है? इस सवाल का जवाब देते हुए ADG ने बताया कि कोरोना काल के बाद से साइबर क्राइम के मामले बिहार में काफी तेजी से बढ़े हैं।
अकेले 2022 में कुल 2400 केस दर्ज किए गए। जबकि, 2021 में 1560 केस दर्ज किए गए हैं। इनके अनुसार बिहार के कई जिले झारखंड से सटे हैं। दोनों ही राज्यों के अपराधियों का आना-जाना लगा रहता है। इस कारण जामताड़ा मॉडल फैलता जा रहा है। ADG ने बताया कि करीब 6 महीने पहले ही नवादा में छापेमारी करने पर झारखंड के रहने वाले साइबर अपराधी पकड़े गए थे। कई आपराधिक मामलों में झारखंड पुलिस को उनकी तलाश भी थी।
गोल्डन पीरियड है शुरुआत का 1-2 घंटा :
ADG नैयर हसनैन खान ने आज एक खास जानकारी पब्लिक के लिए शेयर की है। साइबर क्राइम होने पर पुलिस के लिए शुरुआत का 1-2 घंटा गोल्डन पीरियड होता है। अगर साइबर अपराधियों द्वारा किसी व्यक्ति को ठगा जाता है। उससे रुपए साइबर अपराधी अपने बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं। इसकी जानकारी सही समय पर, मतलब शुरुआत के 1-2 घंटे के अंदर पुलिस या साइबर सेल को मिल जाती है।
ऐसी स्थिति में तेजी से काम करते हुए ठगी के शिकार व्यक्ति को उनका पूरा रुपया वापस कराया जाता है। इसके लिए पब्लिक को भी जागरूक होना होगा। क्योंकि, साइबर अपराधी लगातार अपना तरीका बदल रहे हैं। इस वजह से लोग उनके झांसे में आ जा रहे हैं।
पूर्णिया की घटना ने सबको चौंकाया :
पूर्णिया से सामने आए साइबर क्राइम के नए तरीके ने सबको चौंका दिया है। जमीन रजिस्ट्री के डीड को क्लोन कर सारी जानकारियों को पहले साइबर अपराधियों ने हासिल किया। इसके बाद एक व्यक्ति के अकाउंट से मोटी रकम की निकासी कर ली। इस मामले पर ADG ने बताया कि साइबर अपराधियों के साथ किसी न किसी स्थानीय शातिर की सांठगांठ रही होगी।
बगैर लोकल कनेक्शन के रजिस्ट्री की डीड की क्लोनिंग संभव नहीं है। बिहार में साइबर क्राइम का ये अपने तरह का पहला मामला है। जो चिंता की बात है। ये बड़ी चुनौती है और इससे सभी एजेंसियों को सजग रहना होगा। इस मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई की साइबर सेल कर रही है।