Dismissal from Job: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी मामले में कोई सूचना छिपाना या झूठी जानकारी देना कर्मचारी के बर्खास्तगी का आधार नहीं हो सकता है। कंपनी सिर्फ इस आधार पर मनमाने ढंग से कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त नहीं कर सकती है।
अदालत पवन कुमार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में कांस्टेबल के पद पर चुना गया था।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, चयन प्रक्रिया में भाग लेने वाले उम्मीदवार के लिए सेवा में शामिल होने से पहले व बाद में सत्यापन प्रपत्र में अपने चरित्र और महत्वपूर्ण जानकारी देना जरूरी है। जिस व्यक्ति ने जानकारी छिपाई या गलत घोषणा की है, उसे सेवा में बनाए रखने की मांग करने का हक नहीं है, लेकिन कम से कम उसके साथ मनमाने ढंग से व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, शिकायतकर्ता ने अपना हलफनामा दिया था कि जिस शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी वह गलतफहमी के कारण थी। हमारे विचार में 24 अप्रैल 2015 को सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित सेवा से हटाने का आदेश उपयुक्त नहीं है। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय सही नहीं है और यह रद्द करने योग्य है।
क्या है मामला: Dismissal from Job
आरपीएफ कांस्टेबल पवन कुमार को प्रशिक्षण के दौरान इस आधार पर एक आदेश द्वारा हटा दिया गया था कि उन्होंने यह खुलासा नहीं किया कि उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।