Paddy Farming: इस बार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने धान की MSP में 100 रुपए की इजाफा किया है. पिछले साल सामान्य धान का समर्थन मूल्य 1940 रुपए प्रति क्विंटल था जो इस बार 2040 हो गया है. वहीं ग्रेड-ए धान की MSP 2060 रुपए प्रति क्विंटल है.
खरीफ सीजन (Kharif Season) की प्रमुख फसल धान की रोपाई(Paddy Farming) शुरू हो चुकी है. सीधी बीजाई करने वाले किसानों ने यह काम पहले ही कर लिया है. हालांकि अभी भी किसान धान की रोपाई (Paddy Farming) करने पर ही जोर देते हैं. इस बार पंजाब और हरियाणा में सरकार की तरफ से जारी किए गए नियम के कारण पहले के मुकाबले देर से रोपाई हो रही है. सरकार ने पानी बचाने, किसानों की लागत कम करने और बिजली कंपनियों पर बोझ को घटाने के लिए यह निर्णय लिया था. धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद होती है. ऐसे में किसान अधिक उत्पादन पाने की कोशिश में रहते हैं.
इस बार भी किसान धान से अधिक से अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं. वे कम लागत के लिए कुछ हिस्से में धान की सीधी बीजाई कर रहे हैं. पंजाब और हरियाणा सरकार तो इस विधि को अपनाने पर प्रोत्साहन राशि भी दे रही है. इससे किसानों को दो तरफ से लाभ हो रहा है. एक तो उन्हें खरीफ सीजन के बीच ही कुछ पैसे मिल जा रहे हैं. वहीं कम खर्च में होने वाली सीधी बीजाई से बचे पैसे को किसान धान की गुणवत्ता पूर्ण किस्मों की खेती पर लगा रहे हैं.
धान की MSP में हुई है 100 रुपए का इजाफ़ा
इस बार किसानों का सबसे अधिक ध्यान कम अवधि में अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों की तरफ है. कुछ किसान लंबी अवधि वाली फसलों को भी चुन रहे हैं. लेकिन पहली प्राथमिकता उत्पादन ही है. किसान बासमती के साथ ही परमल और मोटे धान की किस्मों की खेती कर रहे हैं. किसानों का परमल से थोड़ा मोहभंग हुआ है क्योंकि इसे सरकारी केंद्रों पर बेचने की अवधि कम रहती है. किसानों का कहना है कि इस बार देर से रोपाई शुरू हुई है. ऐसे में अगर अवधि को बढ़ाया नहीं गया तो हम धान कहां बेचेंगे.
इस बार केंद्र की मोदी सरकार ने धान की MSP में 100 रुपए की बढ़ोतरी की है. पिछले साल सामान्य धान का समर्थन मूल्य 1940 रुपए प्रति क्विंटल था जो इस बार 2040 हो गया है. वहीं ग्रेड-ए धान की MSP 2060 रुपए प्रति क्विंटल है. पिछले साल धान की MSP में 72 रुपए की बढ़ोतरी हुई थी. किसानों का कहना है कि महंगाई के कारण खेती में लागत काफी बढ़ गई है. इसे निकालने के लिए अधिक उत्पादन ही एक मात्र उपाय है.
पंजाब और हरियाणा में धान की खेती में काफी पानी की जरूरत होती है. यहां के किसान ट्यूबवेल पर निर्भर रहते हैं. यहीं कारण है कि यहां पर लागत अधिक आती है. वहीं वर्षा आधारित क्षेत्रों में किसान आसानी से कम लागत में धान की खेती करते हैं. हालांकि सरकारी दरों पर खरीद का लाभ भी हरियाणा और पंजाब के किसानों को ही सबसे अधिक मिलता है.