Private Medical Colleges Fees: अगले शैक्षिक सत्र से निजी मेडिकल कालेजों की 50 प्रतिशत सीट पर सरकारी मेडिकल कालेजों में ली जाने वाली फीस ही ली जाएगी। निजी मेडिकल कालेजों की फीस सरकारी मेडिकल कालेजों से कई गुना अधिक होने के सवाल को जदयू के डा. संजीव कुमार सहित 20 विधायकों ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से इस मसले को उठाया था। इस मसले के साथ यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई को लेकर गए विद्यार्थियों के संदर्भ को जोड़ा गया था। Private Medical Colleges Fees
ध्यानाकर्षण में यह कहा गया कि बिहार में सरकारी मेडिकल कालेजों की कमी के कारण बिहार के हजारों छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रत्येक वर्ष नामांकन में 12 लाख तथा छात्रवास के लिए तीन लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। बिहार के गरीब मेधावी बच्चे एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए इतनी बड़ी रकम नहीं दे पाते हैं। Private Medical Colleges Fees
इस कारण वे मेडिकल की पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। जबकि यूक्रेन, नेपाल, चीन और फिलीपींस आदि देशों में एमबीबीएस की पढ़ाई में नामांकन तथा छात्रवास मद में प्रति वर्ष चार से पांच लाख रुपये का खर्च आता है। राज्य सरकार बिहार के निजी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस पढ़ाई के लिए फी कै¨पग करे तथा सरकारी मेडिकल कालेजों की संख्या में बढ़ोतरी करे। Private Medical Colleges Fees
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि निजी मेडिकल कालेजों की ट्यूशन फीस का निर्धारण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिटायर जज अखिलेश चंद्रा की कमेटी द्वारा किया जाता है। जो शुल्क तय किया जाता है उसका पुनर्निर्धारण तीन वर्षो में किया जाता है। शुल्क के निर्धारण के क्रम में समिति द्वारा मेडिकल कांउसिल आफ इंडिया (एमसीआई) के दिशा निर्देश का ध्यान रखा जाता है। Private Medical Colleges Fees
इसमें मेडिकल कालेज के शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक स्टाफ का वेतन-भत्ता, प्रशासनिक सेवाओं पर व्यय, प्रयोगशाला की लागत, आकस्मिक व्यय, निवेश किए गए पूंजीगत व्यय आदि का ध्यान रखा जाता है। शिक्षण शुल्क के उचित निर्धारण को ले संबंधित कमेटी को विधानसभा के सदस्यों की भावना से अवगत करा दिया जाएगा। वर्तमान में बिहार में एम्स, ईएसआईसी, बिहटा समेत 12 मेडिकल कालेज हैं। 12 सरकारी मेडिकल कालेज निर्माणाधीन हैं। अगले तीन-चार वर्षों में बिहार में 24 सरकारी मेडिकल कालेज हो जाएंगे। Private Medical Colleges Fees