अहम बदलाव: स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर बनाने की दिशा में बड़े कदम की तैयारी में केंद्र, सरकार ने इस मुद्दे पर शुरू की राज्यों के साथ व्यापक चर्चा, इससे छात्रों की प्रगति और उनके रुझानों को ट्रैक किया जा सकेगा
National Education Policy: देशभर के लाखों छात्र एवं छात्राओं के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। जिसके अनुसार अब तीसरी, पांचवी एवं आठवीं वर्ग में भी बोर्ड जैसी परीक्षाएं हो सकती है। हालांकि इस मुद्दे पर अभी चर्चा जारी है। देशभर के स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने एवं छात्रों की प्रतिभा को हर तरीके से आंकने के लिए केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही कुछ बड़े कदम ले सकती है।
इसके अनुसार तीसरी, पांचवी एवं आठवीं वर्ग की परीक्षाएं भी 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं जैसी आयोजित की जा सकती है। इनका आयोजन क्षेत्रीय स्तर पर कराया जा सकता है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने व्यापक चर्चा शुरू कर दी है।
कई राज्यों में पहले भी पांचवी एवं आठवीं के स्तर पर ऐसी बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित होती थी। जिसे वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून यानी कि आरटीआई के तहत बंद कर दिया गया। क्योंकि इस कानून के तहत आठवीं तक के छात्र को फेल नहीं किया जा सकता है।
इस बीच कई राज्यों ने पांचवीं व आठवीं की परीक्षाओं को फिर से शुरू करने की पहल की है। राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने इसे शुरू भी कर दिया है, लेकिन तीसरी के स्तर पर अब तक इसे कहीं नहीं अपनाया गया है। शिक्षा मंत्रलय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पांचवीं, आठवीं के साथ ही अब तीसरी कक्षा की परीक्षा को भी बोर्ड परीक्षाओं की तर्ज पर आयोजित कराने की पूरी योजना बन गई है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसे लेकर सिफारिश की गई है। इसमें कहा गया है कि स्कूलों में छात्रों को रटकर याद कराने के बजाय उन्हें वास्तविक ज्ञान दिया जाए। उन्हें कौशल विकास से भी जोड़ा जाए। यही वजह है कि शिक्षा मंत्रलय निचले स्तर पर भी शिक्षा का एक मानक तय करना चाहता है। तीसरी, पांचवीं व आठवीं कक्षाओं की प्रस्तावित परीक्षा के अंकों का इस्तेमाल स्कूली शिक्षा प्रणाली की मजबूती आंकने के लिए ही किया जाएगा। साथ ही छात्रों की प्रगति व उनके रुझानों को भी ट्रैक किया जा सकेगा।
शैक्षणिक सत्र 2022-23 से ही लागू हो सकती है यह व्यवस्था: National Education Policy
शिक्षा मंत्रलय ने इस पहल को शैक्षणिक सत्र 2022-23 से ही आयोजित करने की योजना बनाई है। इस पर अंतिम फैसला राज्यों की सहमति के बाद ही होगा। योजना के तहत स्कूली स्तर पर होने वाली परीक्षा वार्षिक परीक्षा की तरह ही होगी, लेकिन इसका आयोजन क्षेत्रीय स्तर पर किसी एक प्राधिकरण की मदद से किया जाएगा, ताकि निष्पक्षता भी बनी रहे है।
सरकार ने इस योजना पर काम तब शुरू किया है, जब स्कूली शिक्षा के ढांचे को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप स्वरूप दे दिया गया है। इसमें स्कूली शिक्षा 10 प्लस 2 के पैटर्न की जगह 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 हो गई है। इसमें प्ले स्कूल को भी शामिल किया गया है। अभी प्ले स्कूल स्कूली शिक्षा का हिस्सा नहीं था।
इनपुट: अरविन्द पांडेय (दैनिक जागरण)