New Labour Codes : नए लेबर कोड कर्मचारी के मूल वेतन को ग्रॉस सैलरी का 50 प्रतिशत निर्धारित कर सकते हैं. हालांकि इससे कर्मचारियों को फायदा होगा और पीएफ में कर्मचारी और कंपनी का जमा पैसा बढ़ेगा. टेक होम सैलरी कुछ कर्मचारियों की घटेगी, खासकर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की.
New Labour Codes : आगामी 1 जुलाई से आपके कामकाज में बड़ा बदलाव होने वाला है. नया लेबर कोड (Labour Code) लागू होने से काम के घंटे, पीएम में जमा होने वाली रकम और हर महीने हाथ में आने वाली सैलरी (In Hand Salary) में बदलाव संभव है. नए लेबर कोड के मुताबिक ऑफिस में काम के घंटे (Office Hours) और पीएफ में जमा होने वाली रकम बढ़ सकती है, जबकि इन हैंड सैलरी घट सकती है. सरकार ने पहले ही लेबर कोड तैयार कर लिया है जिसे राज्यों में लागू किया जाना है. राज्यों में अभी इस पर विचार चल रहा है. लेकिन 1 जुलाई से नए लेबर कोड अमल में आने की पूरी संभावना है.
सरकार ने 4 नए लेबर कोड तैयार किए हैं. सरकार की तैयारी इन सभी लेबर कोड को जल्द से जल्द लागू कराने पर है. हालांकि कुछ राज्यों ने इस लेबर कोड को लेकर अपने नियम तैयार नहीं किए हैं जिससे इसे लागू करने में देरी देखी जा रही है. माना जा रहा है कि राज्य इस काम को जल्द पूरा कर लेंगे और 1 जुलाई से नए नियम-कानून अमल में आ जाएंगे.
निवेश और रोजगार बढ़ेंगे :
सरकार का कहना है कि नए श्रम कानून से देश में निवेश बढ़ेगा जिससे कि रोजगार में भी बढ़ोतरी की संभावना है. नए लेबर कानून से कंपनियों को अपने ऑफिस ऑवर में बदलाव करने की गुंजाइश मिलेगी. कंपनियां अपने काम के हिसाब से ऑफिस की टाइमिंग सेट कर सकती हैं. अभी ऑफिस में 8-9 घंटे तक काम होता है जिसे बढ़ाकर 12 घंटे तक किया जा सकता है. लेकिन इन अधिक घंटे की भरपाई के लिए कंपनियों को हफ्ते में 3 ऑफ देने होंगे. ऐसा इसिलए किया जाएगा ताकि हफ्ते में काम के घंटे की लिमिट बरकरार रहे.
क्या होगा बदलाव :
एक और महत्वपूर्ण बदलाव टेक-होम सैलरी और प्रोविडेंट फंड में कंपनियों की ओर से जमा होने वाले पैसे पर देखा जा सकता है. नए लेबर कोड कर्मचारी के मूल वेतन को ग्रॉस सैलरी का 50 प्रतिशत निर्धारित कर सकते हैं. हालांकि इससे कर्मचारियों को फायदा होगा और पीएफ में कर्मचारी और कंपनी का जमा पैसा बढ़ेगा. टेक होम सैलरी कुछ कर्मचारियों की घटेगी, खासकर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक 23 राज्यों ने लेबर कोड का रूल तैयार कर लिया है. बाकी के 7 राज्य इस पर काम कर रहे हैं. सरकार ने सेंट्रल लेबर लॉ को 4 अलग-अलग कोड में बांट दिया है. इसमें तनख्वाह, सामाजिक सुरक्षा, उद्योग और कर्मचारियों के बीच संबंध, काम के दौरान सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ वर्किंग कंडीशन जैसी शर्तों को शामिल किया गया है. इन सभी कोड को संसद ने पारित कर दिया है. लेकिन श्रम कानून समवर्ती सूची में आते हैं, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य इन नियमों को एक बार में लागू करें.