Wheat Farming : गेहूं की अधिक उपज और गुणवत्ता के लिए किसान कई उन्नत किस्मों की बुवाई करते हैं. मौजूदा समय में गेहूं की कई ऐसी किस्में हैं, जिनकी बुवाई किसानों को मालामाल कर देती है. ऐसी ही गेहूं की पूसा तेजस (8656) किस्म है. यह किस्म उपज के मामले में बहुत बेहतर है.
Wheat Farming : रबी सीजन की फसलों की बुवाई का समय चल रहा है. गेहूं को इस सीजन की सबसे महत्वपूर्ण फसल माना जाता है. गेहूं की अधिक उपज और गुणवत्ता के लिए किसान कई उन्नत किस्मों की बुवाई करते हैं. मौजूदा समय में गेहूं की कई ऐसी किस्में हैं, जिनकी बुवाई किसानों को मालामाल कर देती है. ऐसी ही गेहूं की पूसा तेजस (8656) किस्म है. यह किस्म उपज के मामले में बहुत बेहतर है.
माना जा रहा है कि इस किस्म की बुवाई बंपर उपज देती है. अगर मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहां किसान राज्य के कई जिलों में गेहूं का उत्पादन बढ़ाने व गुड प्रैक्टिस अपनाने के लिए कृषि विभाग किसानों से पूसा तेजस (8656) किस्म की बुवाई कराई जा रही है.
कृषि विभाग का दावा है कि इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 25 क्विंटल तक उत्पादन बढ़ सकता है. इसके साथ ही भाव भी अच्छा मिलेगा. बता दें कि गेहूं की यह किस्म खाने के साथ सर्वाधिक दलिया,पास्ता और ब्रेड बनाने में उपयोग की जाती है.
25-25 हेक्टेयर में पूसा तेजस (8656) की खेती :
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के हर विकास खंड में पहली बार 25-25 हेक्टेयर में पूसा तेजस की खेती की गई है. लगभग 125 किसानों ने एक हेक्टेयर या इससे अधिक रकबे में किस्म की बुवाई की है. इसके लिए ब्लाकवार छह कलस्टर बनाए गए हैं. किसानों को एक कलस्टर में 25 हेक्टेयर का रकबा शामिल कर प्रेरित किया जा रहा है.
पूसा तेजस (8656) के बीज पर सब्सिडी :
सबसे खास बात यह है कि ग्राम बीज योजना, सामान्य बीज वितरण अनुदान पर या राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना में फसल पद्धति के माध्यम से सब्सिडी पर बीज उपलब्ध कराए गए. इसके अलावा, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों द्वारा किसानों को बुवाई के पहले प्रशिक्षण भी दिया गया. बता दें कि कृषि अनुसंधान केंद्र से प्रमाणित बीज किसानों को उपलब्ध कराया गया है.
पूसा तेजस (8656) किस्म से उपज :
वहीं, इंदौर जिले में इस किस्म की खेती से प्रति हेक्टेयर 90 क्विंटल तक की उपज मिल रही है. गेहूं की इस किस्म की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि किसानों को इसका अच्छा भाव मिल रहा है. इस किस्म की बुवाई रतलाम जिले के लिए अच्छी मानी गई है, क्योंकि यहां इस किस्म की बुवाई के लिए परिस्थितियां अनुकूल है.
अगर इसका परिणाम आर अच्छा मिला, तो अगले साल से रकबा बढ़ा दिया जाएगा. मौजूदा समय में यहां 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त हो रही है. माना जा रही है कि अब गेहूं की पूसा तेजस (8656) किस्म से 80 से 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज होगी.