Sahara India Scam Case : सहारा ने एक लेटर (sahara india letter) जारी करके कहा है कि सहारा भी अपने निवेशकों की तरह ही सेबी से पीड़ित है. कंपनी ने आरोप लगाया है कि सेबी ने निवेशकों के करीब 129 करोड़ रुपये ही लौटाए हैं, जबकि उसके पास उनके 25 हजार करोड़ रुपये हैं. सहारा ने कहा है कि ना तो वह खुद पैसे निवेशकों को दे रहा है, ना ही सहारा को लौटा रहा है ताकि निवेशकों को पैसे चुका सकें.
❍ हाइलाइट्स :
● सहारा ने एक लेटर जारी करके कहा है कि सहारा भी अपने निवेशकों की तरह ही सेबी से पीड़ित है.
● आरोप लगाया है कि सेबी ने निवेशकों के सिर्फ 129 करोड़ रुपये ही लौटाए हैं.
● सहारा ने कहा है कि सेबी के पास उनके 25 हजार करोड़ रुपये हैं.
● सहारा ने कहा है कि सेबी नी ने निवेशकों को उनके पैसे देने के बजाए अपने पास रखे हैं.
Sahara India Scam Case : सहारा (Sahara) ने एक बार फिर शेयर बाजार नियामक सेबी (SEBI) पर उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपये रखने का आरोप (Sahara Sebi Case) लगाया है। बता दें कि इससे पहले भी सहारा यह आरोप लगाता रहा है कि सेबी ने निवेशकों के पैसे अपने पास रख लिए हैं, जिससे निवेशक परेशान हैं। सहारा ने एक लेटर (sahara india letter) जारी कर के कहा है कि सहारा भी अपने निवेशकों की तरह ही सेबी से पीड़ित है। उसने कहा है कि हमें बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है। वहीं सेबी की तरफ से निवेशकों को उनका पैसा नहीं लौटा पाने के पीछे दलील दी जा रही है कि दस्तावेजों और रेकॉर्ड में निवेशकों का डेटा ट्रेस नहीं हो पा रहा है। आइए जानते हैं क्या है मामला और सहारा की तरफ से सेबी पर ऐसा आरोप क्यों लगाया जा रहा है।
पिछले साल 4 अगस्त 2021 को आई सेबी की सालाना रिपोर्ट में कहा गया था कि उसने निवेशकों के करीब 129 करोड़ रुपये लौटा दिए हैं। वहीं रिपोर्ट के अनुसार सहारा की तरफ से सेबी के खाते में 31 मार्च 2021 तक जमा कराई गई रकम ब्याज समेत करीब 23,191 करोड़ रुपये है। अप्रैल 2018 में सेबी ने कहा था कि जुलाई 2018 के बाद सेबी किसी दावे पर विचार नहीं करेगा। ऐसे में सहारा की तरफ से सेबी पर आरोप लगाया जा रहा है कि उसने निवेशकों के पैसों को अपने पास गलत तरीके से रखा हुआ है। आइए देखते हैं वो लेटर, जो सहारा ने लिखा है-
जानिए क्या है मामला?
25 दिसंबर 2009 और 4 जनवरी 2010 को सेबी को दो शिकायतें मिलीं। इनमें कहा गया कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCDs) जारी कर रही है और गलत तरीके से धन जुटा रही है। इन शिकायतों से सेबी की शंका सही साबित हुई। इसके बाद सेबी ने इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू कर दी। सेबी ने पाया कि SIRECL और SHICL ने ओएफसीडी के जरिए दो से ढ़ाई करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
सेबी ने सहारा की इन दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने का आदेश दिया और कहा कि वह निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाए। समय के साथ, सुप्रीम कोर्ट और सेबी दोनों ही इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग की तरह लेने लगे। उन्होंने सहारा इंडिया के बैंक अकाउंट और संपत्ति को फ्रीज करना शुरू कर दिया। 26 जनवरी, 2014 को सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार हुए। नवंबर 2017 में ईडी ने सहारा ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चार्ज किया। इस तरह सहारा ग्रुप पूरी तरह कानून के शिकंजे में आ गया।
( source : navbharattimes.com )