How to Start Dairy Farming Business : पशुपालन यानि डेयरी फार्मिंग भारत में तेज़ी से बढ़ता व्यवसाय है, जिसको लोग अपनी उच्च आय वाली नौकरी छोड़ कर भी अपना रहे हैं. यदि आप भी इस व्यवसाय को करना चाहते है तो आज हम आपको डेयरी फार्मिंग पर लोन कैसे लें इसके बारे में बताने जा रहे हैं, ताकि आपको अपने राज्य के हिसाब से सुविधा मिल सके.
Dairy Farming Business : ग्रामीणों और किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के लिए डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) का अहम रोल है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में इस व्यवसाय का तेज़ी से विकास हो रहा है. इसमें राज्य और केंद्र सरकार की चलाई जा रही सरकारी योजनाओं (Government Scheme) का बहुत बड़ा हाथ है. चाहे देश हो या विदेश लोग अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर पशुपालन बिज़नेस (Animal Husbandry Business) में अपना कदम रख रहे हैं, जो आर्थिक सुधार और बेरोज़गारी को ख़त्म करने में मदद कर रहा है. ऐसे में आज हम आपको डेयरी फार्मिंग लोन योजना (Dairy Farming Loan ) के बारे में बताने जा रहे हैं.
इसे भारत सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा डेयरी उद्यम पूंजी योजना के रूप में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के माध्यम से शुरू किया गया था. इस योजना के तहत डेयरी फार्मिंग में लगे सूक्ष्म उद्यमों को संगठित डेयरी व्यवसाय उद्यमों में बदलना है.
डेयरी फार्मिंग व्यवसाय के लिए नाबार्ड सब्सिडी (Dairy Farming NABARD Subsidy) :
डेयरी फार्मिंग भारत में बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है. डेयरी फार्मिंग उद्योग (Dairy Farming Industry) में संरचना लाने और डेयरी फार्म स्थापित (Dairy Farm) करने के लिए सहायता प्रदान करने के प्रयास में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग (Animal Husbandry, Dairying and Fisheries Department) ने 2005 में “डेयरी के लिए उद्यम पूंजी योजना” (Venture Capital Scheme for Dairy) शुरू की थी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उद्यम पूंजी योजना की सफलता के बाद, सरकार ने 2010 में नाबार्ड के माध्यम से डेयरी उद्यमिता विकास योजना (Dairy Entrepreneurship Development Scheme) शुरू करने का निर्णय लिया. तो आइये जानते हैं डेयरी फार्मिंग के लिए नाबार्ड सब्सिडी (NABARD Subsidy Scheme) कैसे प्राप्त करें.

डेयरी फार्मिंग के लिए नाबार्ड सब्सिडी का उद्देश्य (Objectives of NABARD Dairy Farming Subsidy) :
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भारत में डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) बड़ा व्यवसाय है और हर साल दूध का उत्पादन बढ़ रहा है.
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भारत में इसको और मजबूत करने के प्रयास में, डेयरी फार्मिंग के लिए नाबार्ड सब्सिडी शुरू की गई.
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इसका उद्देश्य स्वच्छ दूध के उत्पादन के लिए आधुनिक डेयरी फार्मों की स्थापना को बढ़ावा देना है.
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बछिया पालन को प्रोत्साहित करने के लिए अच्छे प्रजनन स्टॉक का संरक्षण भी इसके उद्देश्यों में से एक है.
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असंगठित क्षेत्र में संरचनात्मक परिवर्तन लाना ताकि दूध का प्रारंभिक प्रसंस्करण ग्राम स्तर पर ही किया जा सके.
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व्यावसायिक स्तर पर दूध को संभालने के लिए गुणवत्ता और पारंपरिक प्रौद्योगिकी का उन्नयन करना.
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मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र के लिए स्वरोजगार उत्पन्न करना और बुनियादी ढांचा प्रदान करना.
दूध उत्पादों के निर्माण के लिए लोन (Loan for manufacture of milk products) :
बता दें कि इस योजना के तहत दुग्ध उत्पादन के उद्देश्य से मशीन और कूलर लगाने के लिए 15 लाख रुपये तक का ऋण देने का प्रावधान है. आसान शब्दों में आपको समझाएं तो इस योजना में डेयरी उत्पादों के निर्माण के लिए 15 लाख तक का लोन दिया जाता है. इसी प्रकार डेयरी उत्पादों के परिवहन के लिए भी 25 लाख रुपये का ऋण दिया जाता है.
डेयरी फार्मिंग पर ऋण (Dairy Farming Loan ) :
- 2 से 10 दुधारू पशुओं के लिए 5 लाख रुपए का लोन दिया जाता है.
- 5 से 20 बछडियो पालन के लिए 4.80 लाख रुपए का लोन प्रदान किया जाता है.
- वर्मी कम्पोस्ट (दुधारू गायों के इकाई के साथ जुड़ा हो) के लिए 0.20 लाख रुपए का लोन दिया जाता है.
- दूध दोहने की मशीन/मिल्कोटैस्टर/ बड़े दूध कूलर इकाई (2000 लीटर तक) के लिए 18 लाख रुपए का लोन प्रदान किया जाता है.
- दूध से देसी उत्पाद बनाने की इकाइयों को स्थापित करने के लिए 12 लाख रुपए का लोन दिया जाता है.
- दूध उत्पादों की ढुलाई तथा कोल्ड चैन सुविधा हेतु 24 लाख रुपए का ऋण दिया जाता है.
- दूध व् दूध उत्पादों के कोल्ड स्टोरेज के लिए 30 लाख रुपए का ऋण दिया जाता है.
- निजी पशु चिकित्सा के लिए मोबाइल और स्थाई इकाई पर 2.40 और 1.80 लाख रुपए का लोन दिया जाता है.
- दूध उत्पाद बेचने हेतू बूथ स्थापना के लिए 0.56 लाख रुपए का लोन प्रदान किया जाता है.
दूध गंगा योजना का उद्देश्य (Doodh Ganga Yojana Objective and Benefits)
- इस परियोजना का उद्देश्य डेयरी फार्मिंग में लगे सूक्ष्म उद्यमों को सफल डेयरी उद्यमों में बदलना है.
- साथ ही, 10,000 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से 50,000 ग्रामीण परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है.
- इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बड़े पैमाने पर डेयरी उत्पादों और संबंधित गतिविधियों की खुदरा बिक्री के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जो उनके आर्थिक स्तिथि को बढ़ाने में मदद करेगी.
- दूध गंगा योजना के मद्देनज़र राज्य में 350 लाख लीटर दुग्ध उत्पादन प्रतिवर्ष का लक्ष्य रखा गया है.
50% तक कोई ब्याज नहीं (Dairy Farming Loan) :
इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों को 10 पशुओं के डेयरी फार्म के लिए 3 लाख रुपये की लागत से ऋण प्रदान किया जाता है. 50 प्रतिशत ऋण ब्याज मुक्त होता है.
नाबार्ड डेयरी फार्मिंग सब्सिडी पात्रता (NABARD Dairy Farming Subsidy Eligibility) :
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किसानों
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व्यक्तिगत उद्यमी
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गैर सरकारी संगठनों
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कंपनियों
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असंगठित और संगठित क्षेत्र के समूह आदि.
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इसके अलावा, संगठित क्षेत्र के समूहों में स्वयं सहायता समूह, डेयरी सहकारी समितियाँ, दुग्ध संघ, दुग्ध संघ आदि शामिल हैं.
नाबार्ड डेयरी फार्मिंग सब्सिडी पाने का नियम (NABARD Dairy Farming Subsidy Law) :
हालांकि, एक व्यक्ति योजना के तहत सभी घटकों के लिए डेयरी सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए पात्र होगा. इसके अलावा, यदि एक परिवार के एक से अधिक सदस्यों को डेयरी फार्मिंग सब्सिडी का लाभ उठाना है, तो उन्हें अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग बुनियादी ढांचे के साथ अलग-अलग इकाइयां स्थापित करनी होंगी. ऐसे दो फार्मों की सीमाओं के बीच की दूरी कम से कम 500 मीटर होनी चाहिए.
नाबार्ड डेयरी फार्मिंग सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें (How to Apply for Dairy Farming Subsidy from NABARD) :
यदि आप अपना डेयरी फार्म खोलना चाहते हैं और नाबार्ड की योजना के पात्र हैं तो इच्छुक व्यक्ति इसकी आधिकारिक वेबसाइट nabard.org पर जाकर इसका लाभ उठा सकते हैं.