Business Ideas : तुलसी को एक घरेलू पौधा माना जाता है. इसका अपना एक खास औषधीय महत्व है. हर घर में तुलसी ( Tulsi cultivation ) का पौधा ज़रूर होता है. इसकी खेती भी भारत के कई राज्यों में होती है. इसको अंग्रेजी में होली बेसिल, तमिल में थुलसी, पंजाबी में तुलसी और उर्दू में इमली नाम से जाना जाता है. इसका जितना महत्व धार्मिक पूजा में है, उतना ही तमाम रोगों को दूर करने में है. बता दें कि इसकी जड़, तना, पत्ती समेत सभी भाग बहुत उपयोगी हैं. इसी वजह से इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है. शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि इसकी पत्तियों में चमकीला वाष्पशील तेल होता है, जो कीड़ों और बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ता है. आज हम अपने इस लेख में तुलसी की खेती की विस्तारपूर्व जानकारी देने वाले हैं, तो इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें : F
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Business Ideas : प्राचीन काल से ही तुलसी को कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है. इसका पौधा लगभग सभी घरों में होता है. ज्यादातर हिंदू धर्म के लोग इसकी पूजा भी करते हैं. लेकिन अगर आप चाहें तो इसकी खेती करके अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. क्योंकि तुलसी ( Tulsi cultivation ) का उपयोग खाने से लेकर कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स और दवाई बनाने वाली कंपनियों अपने प्रोडक्ट्स में करती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि उज्जैन के एक किसान ने 10 बीघा जमीन में 10 किलो बीज की बुवाई की थी. जिसकी लागत 15 हजार रुपए आई. जबकि उसने 3 लाख का मुनाफा कमाया. इसकी फसल 3 महीने में तैयार हो जाती हैं. अगर आप इसकी 1 बीघा खेती करते हो तो उस पर 1500 रुपए तक का खर्च आता है.
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कैसे करें खेती :
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जुलाई माह तुलसी के पौधे को खेत में लगाने का सबसे सही समय होता है. सामान्य पौधे 45x 45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाने चाहिए जबकि RRLOC 12 और RRLOC 14 किस्म के पौधे 50 x 50 सेंटीमीटर की दूरी पर होने चाहिए. पौधों को लगाने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना जरूरी है. हफ्ते में कम से कम एक बार या जरूरत के मुताबिक पानी देना होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक फसल की कटाई से 10 दिन पहले से ही सिंचाई देना बंद कर देना चाहिए.
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कब होती है कटाई :
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जब पौधों की पत्तियां बड़ी हो जाती हैं तभी इनकी कटाई शुरू हो जाती है. सही समय पर कटाई करना जरूरी है. ऐसा न करने पर तेल की मात्रा पर इसका असर होता है. पौधे पर फूल आने की वजह से भी तेल की मात्रा कम हो जाती है इसलिए जब पौधे पर फूल आना शुरू हो जाएं उसी दौरान इनकी कटाई शुरू कर देनी चाहिए. पौधे की जल्दी नई शाखाएं आ जाएं इसलिए कटाई 15 से 20 मीटर ऊंचाई से करनी चाहिए.
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कितनी आती है लागत :
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अगर आप 1 बीघा जमीन पर खेती करते हैं तो 1 किलो बीज की जरूरत पड़ेगी. इसकी बाजार में कीमत तक़रीबन 15 सौ रुपए होगी. 3 से 5 हजार रुपए की खाद लगेगी. सिंचाई का इंतजाम करना होगा. एक सीजन में 2 क्विंटल तक फसल की पैदावार होती है. मंडी में 30 से 40 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव तक तुलसी के बीज बिक जाते हैं.
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तुलसी के प्रकार :
● हरी पत्ती
● काली पत्ती
● नीलीबैगनी रंग वाली तुलसी
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उपयुक्त जलवायु और मिट्टी :
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इसकी खेती में गर्म जलवायु की ज़रूरत पड़ती है. इनमें पाला बर्दाश्त करने की शक्ति नहीं होती है. आमतौर पर तुलसी की खेती सामान्य मिट्टी में आसानी से कर सकते हैं, लेकिन इसकी खेती भुरभुरी, समतल बलुई दोमट, क्षारीय और कम लवणीय मिट्टी में आसानी से की जा सकती है.
पौधा कब लगाएं?
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अगर आप तुलसी की खेती कर रहे हैं, तो इसकी नर्सरी फरवरी महीने के अंतिम हफ्ते में तैयार करनी चाहिए. अगर आपको अगेती फसल करनी है, तो पौधों की रोपाई अप्रैल के मध्य से शुरू कर सकते हैं. वैसे तुलसी को बरसात की फसल कहा जाता है, जिसको गेहूं काटने के बाद उगाया जाता है.
खेत की तैयारी :
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तुलसी की अच्छी उपज मिल सके, इसके लिए खेत को अच्छे से तैयार करें. सबसे पहले खेत में गहरी जुताई वाले यंत्रों से 1 या 2 गहरी जुताई करें. इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल बना लें, साथ ही सही आकार की क्यारियां भी बना लें. ध्यान रहे कि खेत में सिंचाई और जल निकास की सही व्यवस्था होनी चाहिए.
पौधों की नर्सरी और रोपाई :
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अगर तुलसी की खेती एक हेक्टेयर खेत में कर रहे हैं, तो लगभग 200 से 300 ग्राम बीजों से पौध तैयार करना उचित रहता है. बीजों को नर्सरी में मिट्टी के लगभग 2 सेंटीमीटर नीचे बोना चाहिए. बता दें कि बीज 8 से 12 दिनों में उग आते हैं. ऐसे में पौधे रोपाई के लिए लगभग 6 हफ्तों में तैयार हो जाते हैं. तुसली की अधिक उपज और अच्छे तेल उत्पादन के लिए पौधों की दूरी लगभग 20 से 25 सेंटीमीटर की होनी चाहिए.
खाद और उर्वरक :
तुलसी के पौधे को ज्यादातर औषधीय इस्तेमाल में लिया जाता है, इसलिए इसमें रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं करना चाहिए. अगर करने की ज़रूरत पड़ ही जाए, तो सबसे पहले खेती की मिट्टी की जांच करें. इसके बाद किसी रासायनिक उर्वरक का उपयोग करें.
सिंचाई :
इसकी खेती में सबसे पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद कर देनी चहिए. इसके बाद मिट्टी की नमी को जांच लें और फिर सिंचाई करें. अगर गर्मियों का मौसम है, तो हर महीने में लगभग 3 बार सिंचाई करने की ज़रूरत पड़ सकती है, तो वहीं अगर बारिश का मौसम है, तो सिंचाई की कोई ज़रूरत नहीं है.
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कटाई :
तुलसी की खेती में कटाई का एक प्रमुख स्थान है. वैसे पौधों की रोपाई के लगभग 3 महीने बाद कटाई करने का सही समय होता है, लेकिन ध्यान दें कि पौधों में पूरी तरह फूल आ चुके हों. अगर तुलसी से तेल निकालना है, तो पौधे के 25 से 30 सेंटीमीटर ऊपरी शाखीय भाग की कटाई करें. इसके बाद पत्तियों की पतली परत बनाकर छायादार स्थान में लगभग 8 से 10 दिनों तक सुखाएं. ध्यान रहे कि इसको अच्छे हवादार और छायादार स्थान में ही सुखाना चाहिए.
पैदावार :
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खास बात यह है कि तुलसी कम सिंचाई और कम रोगों व कीटों से प्रभावित होने वाली फसल है. अगर हर किसान भाई आधुनिक तरीके से इसकी खेती करें, तो इससे भरपूर मुनाफ़ा कमाया जा सकता है. वैसे तुलसी की पैदावार लगभग 5 टन प्रति हेक्टेयर साल में 2 से 3 बार ली जा सकती है.
पैकिंग (How to Pack Tulsi Crop) :
इसको वायुरोधी थैलों में पैक करना चाहिए, जिनमें नमी बिल्कुल न आ सके. इसके लिए पालीथीन या नायलॉन थैले उचित रहते हैं.
तुलसी की फसल को मार्केट में कैसे बेचे (How to sell Tulsi Crop In Market) :
आप भारत में पतंजलि और अन्य आयुर्वेदिक संस्थानों द्वारा जुड़कर एसी खेती कर सकते है और लाभ कमा सकते है. कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग करवाने वाली दवा कंपनियों या एजेंसियों के जरिए खेती कर उन्हें ही अपना माल बेच सकते हैं.इसके अलावा आप चाहे तो इस फसल को डाइरैक्ट मार्केट में या मंडी में बेच सकते है और लाभ कमा सकते है. इसके अतिरिक्त आप सीधे किसी कंपनी के लिए भी फ़ार्मिंग कर उन्हे अपना माल सप्लाइ कर सकते है. अगर आप इस विकल्प का चयन करते है तो आपको मार्केट तक जाकर बाजार में अपनी फसल बेचने की कोई आवश्यकता नहीं होती बल्कि कंपनी आपके खेतो में आकर आपकी फसल खुद लेती है और आपको उसका उचित मूल्य प्रदान करती है.आप मंडी एजेंट्स के जरिए अपना माल बेच सकते हैं. सीधे मंडी में जाकर भी खरीददारों से संपर्क कर सकते हैं. कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग करवाने वाली दवा कंपनियों या एजेंसियों के जरिए खेती कर उन्हें ही अपना माल बेच सकते हैं.