Business Ideas : भारत में किसान ज्यादातर पारंपरिक खेती को तरजीह देते हैं. ऐसे में अक्सर वे खेती-किसानी में नुकसान उठाते हैं. इन्हीं सब वजह से कृषि विशेषज्ञ किसानों को खेतों में पेड़ लगाने की सलाह देते हैं. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि महोगनी के पेड़ों की खेती ( Mahogany Tree Farming ) से आप करोड़पति कैसे बन सकते हैं :
Mahogany Tree Farming : कृषि के साथ बागवानी के जरिये किसान अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं. बागवानी में किसान फल या इमारती लकड़ी वाले पौधे लगा सकते हैं. इसके साथ ही इन पौधों के बीच में किसान खेती भी कर सकते हैं. जिससे उनकी आय भी दोगुनी हो जाएगी. महोगनी एक ऐसा ही पेड़ हैं जिसे लगाकर किसान कम समय में करोड़पति बन सकते हैं. अगर एक एकड़ जमीन में महोगनी के पेड़ लगाए जाएं तो सिर्फ 12 साल में आप करोड़पति बनने का सपना पूरा कर सकते हैं. महोगनी को सदाबहार पेड़ माना जाता है. यह 200 फीट की ऊंचाई तक बढ़ सकते हैं. इसकी लकड़ी लाल और भूरे रंग की होती है और इसे पानी से नुकसान नहीं पहुंचता है. अर्थात महोगनी की खेती किसानों के लिए एक मुनाफे का सौदा है.
कैसा होता है महोगनी का पेड़ ( Mahogany Tree Farming ) :
महोगनी की लकड़ी मजबूत और काफी लंबे समय तक उपयोग में लाई जाने वाली लकड़ी होती है. यह लकड़ी लाल और भूरे रंग की होती है. इस पर पानी के नुकसान का कोई असर नहीं होता है. अगर वैज्ञानिकों के तर्कों की बात करें तो यह पेड़ 50 डिग्री सेल्सियस तक ही तापमान को सहने की क्षमता को बदार्शत कर सकता है और जल न भी हो तब भी यह लगातार बढ़ता ही जाता है.
महोगनी के पेड़ों के फायदे :
महोगनी के पेड़ों का औषधीय उपयोग : महोगनी के लकड़ी को बहुत कीमती माना जाता है. यहां तक कि पानी का भी उस पर कोई असर नहीं होता है. इसलिए इसका उपयोग जहाज, गहने, फर्नीचर, प्लाईवुड, सजावट और मूर्तियां बनाने में किया जाता है. इसके साथ ही इस पेड़ की पत्तियों में कैंसर, रक्तचाप, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई बीमारियों के खिलाफ उपचारात्मक गुण होते हैं.
महोगनी के पेड़ के पास मच्छर नहीं आते : महोगनी के पेड़ की पत्तियों में एक खास तरह का गुण पाया जाता है, जिससे इसके पेड़ों के पास मच्छर और कीड़े नहीं आते हैं. यही वजह है कि इसकी पत्तियों और बीजों के तेल का इस्तेमाल मच्छर भगाने वाले और कीटनाशक बनाने में किया जाता है. इसके तेल का इस्तेमाल साबुन, पेंट, वार्निश और कई तरह की दवाइयां बनाने में किया जाता है.
पांच वर्ष में एक बार होता है बीज :
इसकी लकड़ियां के इस्तेमाल चौकड़ा, फर्नीचर, और लकड़ी के अन्य नाव निर्माण के लिए होता है जो काफी बेशकीमती माना जाता है. इसके पत्तों का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों में होता है. इसका पौधा पांच वर्षों में एक बार बीज देता है. इसके एक पौधे से पांच किलों तक बीज प्राप्त किए जा सकते है. इसके बीज की कीमत काफी ज्यादा होती है और यह एक हजार रूपए प्रतिकिलो तक बिकते है. अगर थोक की बात करें तो लकड़ी थोक में दो से 2200 रूपए प्रति घन फीट में आसानी से मिल जाती है. यह एक औषधीय पौधा भी है, इसलिए इसके बीजो और फूलों का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाइयों को बनाने में होता है.
इस वृक्ष की पत्तियों में एक खास तरह का गुण पाया जाता है, जिससे इसके पेड़ो के पास किसी भी तरह के मच्छर और कीट नहीं आते है . इस वजह से इसकी पत्तियों और बीज के तेल का इस्तेमाल मच्छर मारने वाली दवाइयों और कीटनाशक को बनाने में किया जाता है . इसके तेल का उपयोग कर साबुन, पेंट, वार्निस और कई तरह की दवाइयों को बनाया जाता है.
कैसी जगह पर उगते हैं पेड़ :
महोगनी के वृक्षों को उस जगह पर उगाया जाता है, जहा तेज हवाएं कम चलती है, क्योकि इसके पेड़ 40 से 200 फ़ीट की लम्बाई तक लम्बे होते है . किन्तु भारत में यह पेड़ केवल 60 फीट की लम्बाई तक ही होते है . इन पेड़ो की जड़े कम गहरी होती है, और भारत में इन्हें पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर किसी भी जगह उगाया जा सकता है . महोगनी के पेड़ो की खेती कर अच्छी कमाई की जा सकती है. इसके पेड़ो को किसी भी उपजाऊ मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन जल भराव वाली भूमि में इसके वृक्षों को न लगाए और न ही पथरीली मिट्टी में लगाए . इन पेड़ो के लिए मिट्टी का P.H. मान सामान्य होना चाहिए .
महोगनी के पेड़ के लिए मौसम :
महोगनी की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु को सबसे अच्छा माना जाता है, अधिक वर्षा इसके पेड़ो के लिए उपयुक्त नहीं होती है . सामान्य मौसम में इसके पेड़ो का अच्छे से विकास होता है, जब इसके पौधो को लगाया जाता है तब इनको तेज गर्मी और सर्दी से बचाना होता है. महोगनी के पौधो को अंकुरित और विकसित होने के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है, सर्दियों के मौसम में 15 और गर्मियों के मौसम में 35 डिग्री के तापमान में अच्छे से विकास करते है .
भारत में उगायी जाती है पांच विदेशी किस्में :
भारत में इसके पेड़ो की अभी तक कोई खास प्रजाति नहीं है, अभी तक केवल 5 विदेशी किस्मे कलमी किस्मो को ही उगाया गया है. जिनमें क्यूबन, मैक्सिकन, अफ्रीकन, न्यूज़ीलैंड, और होन्डूरन आदि किस्में शामिल हैं. पेड़ो की यह सभी किस्मे पौधे और उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर उगाई जाती है, यह पौधे लम्बाई में 50 से 200 फीट तक होते है.
पौधे कहां से खरीदे :
महोगनी की खेती के लिए इसके पौधों को किसी भी पंजीकृत सरकारी कंपनी से ख़रीदा जा सकता है, इसके अतिरिक्त इसके पौधों को नर्सरी में भी तैयार किया जा सकता है. पौधों को नर्सरी में तैयार करने में अधिक समय व मेहनत लगती है . इसलिए इसके पौधों को खरीद कर लगाना ज्यादा उचित होता है. नर्सरी से पौधों को खरीदते समय यह जरूर ध्यान रखे कि पौधे दो से तीन वर्ष पुराने और अच्छे से विकसित हो. पौधों को लगाने के लिए जून और जुलाई के महीने को ज्यादा उपयुक्त माना गया है.
खेत के बीच लगा सकते हैं दलहनी फसल :
महोगनी के पौधे 6 वर्ष में पूर्ण रूप से विकसित होकर पेड़ बन जाते है. इस बीच यदि किसान भाई चाहे तो वृक्षों के बीच में खाली पड़ी जमीन में दलहन की फसल को लगा अच्छी कमाई कर सकते है.
महंगी बिकती है लकड़ियां :
महोगनी के वृक्ष एक एकड़ में लगभग 12 वर्ष के इंतजार के बाद करोड़ो की कमाई कराते है . इसके पेड़ की लकड़ियों का मूल्य दो हज़ार रूपये प्रति घनफिट के हिसाब से होता है. इसके बीज और पत्तिया भी अच्छी कीमत पर बिकते है, इसके वृक्षों को ऊगा कर किसान भाई अच्छी कमाई कर सकते है.