Property New Rule: हाल के दिनों में खेती की जमीन के दूसरे प्रयोजन के लिए उपयोग का चलन बढ़ा है। उद्योग के अलावा शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल एवं अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भी इस जमीन का उपयोग हो रहा है। संपरिवर्तन के बारे में स्पष्ट प्रविधान रहने के बावजूद शुल्क के सवाल पर विवाद हो जाता है।
यह अदालतों में भी पहुंच जाता है। विवाद से बचने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग लैंड कनवर्जन पोर्टल बनाने जा रहा है। इस पोर्टल पर संबंधित नियमावली को अपलोड किया जाएगा। इससे संबंधित अन्य जिज्ञासाओं का भी निदान किया जाएगा।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के उप सचिव मनोज कुमार झा के मुताबिक पोर्टल बनाने के लिए निविदा जारी की गई है। उम्मीद है कि इस महीने एजेंसी का निर्णय हो जाएगा। उसके बाद पोर्टल बनेगा। एजेंसी को दो साल के लिए पोर्टल के रखरखाव का जिम्मा दिया जाएगा।
क्यों जरूरत पड़ी: Property New Rule
खेती की जमीन की प्रकृति बदलने पर शुल्क का प्रविधान है। इससे संबंधित नियमावली राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लागू है। इसके मुताबिक प्रकृति बदलने पर 10 प्रतिशत शुल्क देना होता है। इसका निर्धारण स्थानीय अनुमंडलाधिकारी करते हैं। इधर शिकायत आने लगी थी कि कहीं-कहीं अनुमंडलाधिकारी 10 प्रतिशत से अधिक शुल्क की वसूली करते हैं। आधिकारिक तौर पर पहली शिकायत उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौंडिक ने की थी।