COVID-19 3rd Wave: नीति आयोग (NITI Aayog) ने कोरोना की थर्ड वेब को लेकर चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि सितंबर में प्रतिदिन कोरोना समक्रमण के 4-5 लाख नए केस सामने आ सकते हैं। ऐसे में अभी से ही दो लाख ICU बेड्स की व्यवस्था कर रखने की जरूरत है.
भारत में कोविड महामारी का विकराल रूप एक बार फिर देखने को मिल सकता है. नीति आयोग ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी जारी की है. आयोग ने आशंका जताई है कि सितंबर में 4 से 5 लाख कोरोना केस रोजाना आ सकते हैं. हर 100 कोरोना मामलों में से 23 मामलों को अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था करनी पड़ सकती है. ऐसे में पहले से ही दो लाख आईसीयू बैड्स तैयार रखने की जरूरत है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, नीति आयोग ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद बड़ी संख्या में अस्पताल में कोविड बेड अलग रखने की सिफारिश की है. आयोग का कहना है कि खराब हालात से निपटने के लिए पहले से तैयार रहना होगा. सितंबर तक दो लाख आईसीयू बेड तैयार किए जाने चाहिए. इसके अलावा 1.2 लाख वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड, 7 लाख ऑक्सीजन वाले बेड और 10 लाख कोविड आइसोलेशन केयर बेड होने चाहिए.
नीति आयोग ने इससे पहले सितंबर 2020 में भी कोरोना की दूसरी लहर का अनुमान लगाया था. तब नीति आयोग ने 100 संक्रमितों में से गंभीर कोविड लक्षणों वाले लगभग 20 मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता बताई गई थी. लेकिन इस बार अनुमान पिछली बार से अधिक है.
भारत में कोरोना संकट की मौजूदी स्थिति : भारत में लगातार 56 दिनों से 50,000 से कम दैनिक मामले सामने आ रहे हैं. रविवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के कुल 30,948 नए मामले सामने आए और 403 मौत हो गईं. कोविड के कारण मरने वालों की कुल संख्या 4 लाख 34 हजार 367 हो गई है.
हर दिन आ सकते हैं चार लाख नए केस : नीति आयोग का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर में हालात और भी अधिक खराब हो सकते हैं, इसके लिए हमें पहले से ही तैयार रहना होगा। नीति आयोग ने एक दिन में 4 से 5 लाख नए कोरोना केस दर्ज किए जाने का अनुमान लगाया है। ऐसे में जरूरी है कि अगले महीने तक दो लाख ICU बेड तैयार किए जाएं। इनमें वेंटिलेटर के साथ 1.2 लाख ICU बेड, 7 लाख बिना ICU अस्पताल के बेड (इनमें से 5 लाख ऑक्सीजन वाले बेड) और 10 लाख कोविड आइसोलेशन केयर बेड होने चाहिए।
नीति आयोग ने यह अनुमान कोरोना की दूसरी लहर के बाद देशभर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हुए मरीजों के पैटर्न के आधार पर लगाया है। दूसरी लहर के दौरान दस राज्यों में अधिकतम 21.74 फीसदी मामले दर्ज हुए थे। इनमें से 2.2 फीसदी लोगों को आईसीयू में भर्ती किए जाने की जरूरत पड़ी थी।